फोटो- अटेर दुर्ग जिला भिंड
Now look at the archaeological department
There is a special hope from Mr.
अब एक नजर पुरात्तव विभाग पर
भिंड/ जिले की ऐतिहासिक धरोहर अटेर,भिण्ड किला सहित कई इमारते जो पुरातत्व विभाग भिण्ड द्वारा संरक्षित है यह इमारते रख रखाव के आभाव में जीर्ण-शीर्ण होती जा रही है ! जिले की ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है !!
शाशन के द्वारा इन एतिहाशिक इमारतों के रख - रखाव के लिये हर वर्ष - राषि स्वीकृति की जाती है पर यह पैसा कितना कहाँ खर्च हो रहा है इसकी जानकारी किसी को नही है अटेर दुर्ग चम्बल टूरिज्म में शामिल है और यह दुर्ग पर्यटन स्थल की सूची में भी शामिल है पर शाशन का पैसा कहाँ खर्च हो रहा है इसका कोई हिसाब नही है
श्रीमान डी०एम० साहब Look carefully or take special please
मलखानसिंह भदौरिया
भिण्ड
मध्य प्रदेश के चंबल संभाग मैं भिंड जिला स्थित है यह जिला अभी तक डकैतों के नाम से प्रसिद्ध हुआ करता था वर्तमान में यहां पढ़े-लिखे युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है वैसे तो चंबल वीरों की भूमि है यहां से हजारों युवा भारतीय सेना में अपने वीरता का करतब कारगिल युद्ध में दिखा चुके हैं। यहां के इतिहास में बड़े-बड़े डकैत हुए हैं खास तौर पर मलखान सिंह रूपा और लखन मान सिंह डकैत का नाम तो चंबल के इतिहास में दर्ज हो गया है यह डकैत जरूर थी पर इन्होंने अपने डकैत जीवन में कई गरीबों की बेटियों के विवाह भी किए और दान पुण्य करना इनका नित्य कर्म होता था साहूकारों से लूटकर गरीबों की सहायता करना मंदिरों के निर्माण कराया जाना भागवत कथा और भंडारा ऐसे कार्य चंबल के डकैतों के द्वारा किए जाने के संबंध में यहां के गलियारों में चर्चाएं आज भी होती हैं। साथियों मां की कोख से कोई भी व्यक्ति डाकू जन्म नहीं लेता परिस्थिति हालात कुछ सीध साधे सज्जन किसानों को डकैत बनने के लिए मजबूर कर देती है ऐसी ही कुछ कहानी चंबल के डकैतों की है इन डकैतों में मानसिंह रूपा लाखन फूलन देवी और पान सिंह तोमर जैसे तमाम लोग ...
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