मध्य प्रदेश के चंबल संभाग मैं भिंड जिला स्थित है यह जिला अभी तक डकैतों के नाम से प्रसिद्ध हुआ करता था वर्तमान में यहां पढ़े-लिखे युवाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है वैसे तो चंबल वीरों की भूमि है यहां से हजारों युवा भारतीय सेना में अपने वीरता का करतब कारगिल युद्ध में दिखा चुके हैं। यहां के इतिहास में बड़े-बड़े डकैत हुए हैं खास तौर पर मलखान सिंह रूपा और लखन मान सिंह डकैत का नाम तो चंबल के इतिहास में दर्ज हो गया है यह डकैत जरूर थी पर इन्होंने अपने डकैत जीवन में कई गरीबों की बेटियों के विवाह भी किए और दान पुण्य करना इनका नित्य कर्म होता था साहूकारों से लूटकर गरीबों की सहायता करना मंदिरों के निर्माण कराया जाना भागवत कथा और भंडारा ऐसे कार्य चंबल के डकैतों के द्वारा किए जाने के संबंध में यहां के गलियारों में चर्चाएं आज भी होती हैं।
साथियों मां की कोख से कोई भी व्यक्ति डाकू जन्म नहीं लेता परिस्थिति हालात कुछ सीध साधे सज्जन किसानों को डकैत बनने के लिए मजबूर कर देती है ऐसी ही कुछ कहानी चंबल के डकैतों की है इन डकैतों में मानसिंह रूपा लाखन फूलन देवी और पान सिंह तोमर जैसे तमाम लोग जो मजबूरन डकैत बन गए कुछ डकैतों की मजबूरियां फिल्मी पर्दे पर कहानी बनकर हम सबके सामने आ गई पान सिंह तोमर मुरैना जिले के एक छोटे से गांव से निकला भारतीय सेना का सूबेदार बना हिंदुस्तान के लिए विदेशों में दौड़ा एथलेटिक्स चैंपियन रहा जब रिटायरमेंट होकर अपने गांव वापस आया तो 1 बीघा भूमि के लिए वह शासन और प्रशासन से गुहार लगाता रहा जब शासन और प्रशासन ने आंख और कान दोनों बंद कर लिए तो व्यक्ति क्या करता उस लाचार और मजबूर व्यक्ति ने बंदूक उठा कर जंगल का रास्ता अख्तियार किया।
साथियों वर्षों पूर्व की यह कहानियां आज जब हम याद करते हैं तो निश्चित तौर पर प्रशासनिक व्यवस्था पर से विश्वास उठ जाता है हद तो तब हो गई जब आज ही चंबल की प्रशासनिक व्यवस्था जस की तस है तमाम कमजोर ओ अन्याय हो रहा है जब यह लोग पुलिस प्रशासन से गुहार लगाते हैं तब कोई कार्यवाही नहीं होती आज कई एकड़ भूमि पर दबंगों के कब्जे हैं बेचारा मजबूर लाचार किसान क्या करें शासन और प्रशासन सुनता नहीं समय बदल गया नहीं तो आज भी चंबल में कई पान सिंह तोमर शरण लिए होते आपसी रंजिश में एक पार्टी की भूमि बंजर पड़ी है तो दूसरी पार्टी उस पर कब्जा किए हुए हैं यही किसी एक व्यक्ति का विषय नहीं बल्कि चंबल और ग्वालियर में कई ऐसे परिवार हैं चीन की भूमि दुश्मनी के कारण बंजर पड़ी हुई है और दूसरी पार्टी उस पर कब्जा किए हुए हैं ऐसी कंडीशन में पुलिस प्रशासन बिल्कुल नहीं सुनता अगर यह मजबूर लाचार व्यक्ति बंदूक उठाने के लिए मजबूर नहीं होंगे तो क्या करेंगे।
चंबल घाटी में जो किसान ग्रामीण हैं कृषि कार्य घाटी का व्यवसाय होने के कारण मजबूरन रेत का व्यापार करते हैं शासन ने रेत निकालने पर भारी प्रतिबंध लगा रखा है यह नदियां और ग्रामीणों के खेतों से होकर या गांव से होकर निकली किसान के बेटे अपने ट्रैक्टर बा हमसे रेत निकाल कर निकटतम शहर में बीज देते हैं जिससे किसानों की आजीविका चल रही है किसानों के बेटे पढ़ लिखकर बेरोजगार घूम रहे हैं रोजगार नहीं है कभी शराब का अवैध व्यापार करते हैं कहीं रेत का अवैध उत्खनन और जब पुलिस के द्वारा पकड़े जाते हैं इनको इस बात का कोई भी डर नहीं कि पुलिस उन्हें पकड़ लेगी क्योंकि कृषि निरंतर घाटे का व्यवसाय होता जा रहा है। खर्चा अधिक पैदावार कम वहीं किसान अपने उत्पाद का मूल्य भी तय नहीं कर सकता, इस जिले में कई किसानों ने कर्ज के कारण आत्महत्या कर ली अब ऐसी सूरत में किसान के बेटे परिवार की आजीविका चलाने के लिए अवैध व्यापार न करें तो क्या करें।
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